Monday, 25 February 2019

वो एक दोस्त था....


मेरे हर गम मे,
वो मेरे साथ होता था।
जब सब छोड़ जाते,
उसने थामा मेरा हाथ होता था।

जब-जब समय ने मुझे तोड़ना चाहा,
अकसर वो मुझे जोड़े रखता था।
वो एक दोस्त था . . .

मेरी खुशी मे वो,
मुझसे ज्यादा मुस्कुराता था।
अपने हर जश्न में,
वो बस मुझे साथ लाता था।

जब-जब भी जरूरत महसूस हुई,
वो बिना बुलाए बस दौड़ा चला आता था।
वो एक दोस्त था. . .


मेरे हर राज से,
बस वो ही वाकिफ था।
मेरे जीवन का वो,
मुझसे ज्यादा हाकिम था।

जब-जब भी मुझे उलझनों ने जख्मी करना चाहा,
वो हर दर्द का हकीम बन के आता था।
वो एक दोस्त था. . .

न जाने कहां बस,
 खो ही गया वो।
लोग कहते हैं कि,
हमेशा के लिए सो ही गया वो।

उसके दूर होने पर रो भी न सकूं मै,
कमबख्त, जाते-जाते आँसू भी साथ ले गया था।
वो एक दोस्त था. . .


रब सा नूर था,
वो बेकसूर था।
न जाने किस लिए,
सजा मिली उसे ये।

आज भी जब उसकी तस्वीर सामने आती है,
तो रब से बस निगाहें यही पूछती हैं,
क्या वो सिर्फ एक ही दोस्त था?....
                                   -  देवेश तनेजा
For you #DDB 

Friday, 22 February 2019

मै कलाकार हूँ....

मै दिल से दिल, 
को एक पैगाम हूं।
मै दो रुहों के,
बीच का प्यार हूं।
मै कलाकार हूं! हां कलाकार हूं।

मै हिमालय से ऊंची,
एक चट्टान हूं।
और समंदर से गहरा,
मै अपार हूं।
मै कलाकार हूं ! हां कलाकार हूं।

कुछ लफ्जों से उपर,
मै एक बयान हूं।
मै एक राही-राहगीर,
का किरदार हूं।
मै कलाकार हूं ! हां कलाकार हूं।

किसी की निगाहों मे,
इन्तज़ार हूं।
मै किसी अनजान सपने,
का साकार हूं।
मै कलाकार हूं ! हां कलाकार हूं।

मै वंशज हूँ,
प्रेमचंद कथाकार का।
गालिब सा मै,
मदहोश शायर हूं।
मै कलाकार हूं ! हां कलाकार हूं ।

प्रेम कि दरिया की,
मै ही धार हूं।
उस निराकार को देता,
मै ही आकार हूं ।
मै कलाकार हूं! हां कलाकार हूं।



ये एक विडम्बना है, कि आज का कलाकार
मंच को तलाशता है, और मंच कलाकार को।
परंतु इनका मिलन केवल एक ख्वाब बन कर रह गया है!!!
                   
                                                           - देवेश तनेजा