Saturday, 5 January 2019

बिन सुनि आवाज

  मै एक बिन सुनि आवाज था;
  गूंजेगी ये विश्वास था ।
  जो न हुआ वो आगाज था;
होगा ये विश्वास था ।

सूर्य मेरा भी अस्त एक दिन हो जाएगा;
मगर उस से पहले चांद निखर आएगा ।

मै सूर्य - चांद की ये प्रथा था;
जो कल होगा मै वो 'आज' था।
मै बिन सुनी आवाज था;
गूंजेगी ये विश्वास था।

कह देता हूँ सुनने वालो से;
के सुनो ये तो न होना हैरान;
शान्त हूँ मै, खुश हूँ कि मै हूँ परेशान।

इमान नहीं खोता हूँ, उस दिन से;
दिल से नहीं रोता हूँ, उस दिन से।

दुखों का जैसे मै साज था;
मै बिन सुनि आवाज था;
गूंजेगी ये विश्वास था।

खैर, अब समझ आ गई है;
खुद ही को समझाता हूँ;
मै बिन सुनी आवाज हूँ;
जो न हुआ वो आगाज हूँ।
 




  

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