Wednesday, 30 January 2019

ऐ पथिक तू सीख ले!!!


कब तक किसी और के,
नक्शे पलटता तू रहेगा?
कब तक किसी और के पीछे,
खुद को घसीटता तू रहेगा?
खुद की राहों को बनाना,
ऐ पथिक तू सीख ले!!!....

कब तक पराए सपनों को,
अपने आंसुओं से सींचेगा?
कब तक अपने ख्वाबों को,
बस आंखे मीचे देखेगा?
खुद के परों को सजाना,
ऐ पथिक तू सीख ले!!!...

कब तक दूसरों की आग से,
रोशनी लेकर बैठेगा?
कब तक चांदनी अधूरी से ही,
राह को टटोलेगा?
खुद के रवि को उजागर करना,
ऐ पथिक तू सीख ले!!!...

कब तक उदाहरण औरों के,
तूं बस सुनता हि जाएगा?
आखिर कब अपनी नम पङी,
आवाज को उठाएगा?

खुद ही उदाहरण बन के गूंजना,
ऐ पथिक तू सीख ले!!!...


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