Sunday, 19 May 2019

मै एक कवि...

मै एक कवि! मै लिखता हूँ।
कभी मै कुछ ख्वाब लिखता हूँ,
कुछ तेरे कुछ अपने मै सपने लिखता हूँ।
मै एक कवि! मै लिखता हूँ।

कागज पर अनोखी दुनिया रचता हूँ,
कुछ झरने कुछ परबत कुछ राहें रचता हूँ।
जिसकी आस तुमको भी है, इंतजार मुझको भी है,
वो मंजिल लिखता हूँ।
मै एक कवि! मै लिखता हूँ।

खोफ को डराने को लिखता हूँ,
कुछ खत राजघराने को लिखता हूँ।
कुछ मेरे आदेश कुछ तेरे संदेश, 
इस दुनिया को लिखता हूँ।
मै एक कवि! मै लिखता हूँ।

हां! लाखों कवियों में, मै भी एक हूँ।
गम भुलाने को लिखे, मै वो नज्मकार हूँ।
कुछ प्रेमचंद सी कथाएँ, कुछ गालिब से शेर, 
कुछ अपनी और तेरी कल्पना लिखता हूँ।
मै एक कवि! मै लिखता हूँ।

मै एक कवि! मै लिखता हूँ!....





Thursday, 16 May 2019

उठ ना! के फिर चलना हि तुझे!!!...

उठ ना! के फिर चलना हि तुझे,
उदय हो! के गम को अस्त करना है तुझे।

चल आ, आज कर्म कि कश्ती बांध ले,
अपार जो था रह गया था,
वह महासागर पार करना है तुझे!
उठ ना! के फिर चलना हि तुझे!

एक अंगारा सा था जो शान्त हो रहा,
माना कि सुर्य नहीं है तूं,
पर मशाल सा रोशन होना है तुझे!
उठ ना! के फिर चलना हि तुझे!

अग्नि में जाकर स्वर्ण सा तपना है,
करना सच तूने अपना हर सपना है,
सबसे जीत कर सबको जीतना है तुझे! 
उठ ना! के फिर चलना हि तुझे!

माना के मंजिल दूर है,
अढचने भी भरपूर हैं,
हर गम को पार करना है तुझे! 
उठ ना! के फिर चलना हि तुझे!

उठ ना! के फिर चलना हि तुझे,
उदय हो! के गम को अस्त करना है तुझे!!!

हो नहीं सकता!!!...

बंदिश ए ह्यात में है के वो रो नहीं सकता, उसे रास्तों ने बांधा है के अब वो खो नहीं सकता! मंजिल दूर है काफी मगर रास्ता है शाइस्ता, उसे ख्व...