बहुत हुआ दुष्कर्म के अब,
ये वक्त नहीं के सहा जाए!
प्रतिशोध की इस ज्वाला में,
आओ उनको भस्म किया जाए!
बन कर फिर झांसी की रानी,
शत्रु का वध किया जाए!
या दुर्गा बन कर,
महिषासुर को खत्म किया जाए!
रूप प्रेम की देवी को,
अब रूप रूद्र लेना होगा!
इन मानव रूपी दरिंदों को,
उचित उत्तर देना होगा!
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