Sunday, 19 May 2019

मै एक कवि...

मै एक कवि! मै लिखता हूँ।
कभी मै कुछ ख्वाब लिखता हूँ,
कुछ तेरे कुछ अपने मै सपने लिखता हूँ।
मै एक कवि! मै लिखता हूँ।

कागज पर अनोखी दुनिया रचता हूँ,
कुछ झरने कुछ परबत कुछ राहें रचता हूँ।
जिसकी आस तुमको भी है, इंतजार मुझको भी है,
वो मंजिल लिखता हूँ।
मै एक कवि! मै लिखता हूँ।

खोफ को डराने को लिखता हूँ,
कुछ खत राजघराने को लिखता हूँ।
कुछ मेरे आदेश कुछ तेरे संदेश, 
इस दुनिया को लिखता हूँ।
मै एक कवि! मै लिखता हूँ।

हां! लाखों कवियों में, मै भी एक हूँ।
गम भुलाने को लिखे, मै वो नज्मकार हूँ।
कुछ प्रेमचंद सी कथाएँ, कुछ गालिब से शेर, 
कुछ अपनी और तेरी कल्पना लिखता हूँ।
मै एक कवि! मै लिखता हूँ।

मै एक कवि! मै लिखता हूँ!....





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