Friday, 22 February 2019

मै कलाकार हूँ....

मै दिल से दिल, 
को एक पैगाम हूं।
मै दो रुहों के,
बीच का प्यार हूं।
मै कलाकार हूं! हां कलाकार हूं।

मै हिमालय से ऊंची,
एक चट्टान हूं।
और समंदर से गहरा,
मै अपार हूं।
मै कलाकार हूं ! हां कलाकार हूं।

कुछ लफ्जों से उपर,
मै एक बयान हूं।
मै एक राही-राहगीर,
का किरदार हूं।
मै कलाकार हूं ! हां कलाकार हूं।

किसी की निगाहों मे,
इन्तज़ार हूं।
मै किसी अनजान सपने,
का साकार हूं।
मै कलाकार हूं ! हां कलाकार हूं।

मै वंशज हूँ,
प्रेमचंद कथाकार का।
गालिब सा मै,
मदहोश शायर हूं।
मै कलाकार हूं ! हां कलाकार हूं ।

प्रेम कि दरिया की,
मै ही धार हूं।
उस निराकार को देता,
मै ही आकार हूं ।
मै कलाकार हूं! हां कलाकार हूं।



ये एक विडम्बना है, कि आज का कलाकार
मंच को तलाशता है, और मंच कलाकार को।
परंतु इनका मिलन केवल एक ख्वाब बन कर रह गया है!!!
                   
                                                           - देवेश तनेजा


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