मेरे हर गम मे,
वो मेरे साथ होता था।
जब सब छोड़ जाते,
उसने थामा मेरा हाथ होता था।
जब-जब समय ने मुझे तोड़ना चाहा,
अकसर वो मुझे जोड़े रखता था।
वो एक दोस्त था . . .
मेरी खुशी मे वो,
मुझसे ज्यादा मुस्कुराता था।
अपने हर जश्न में,
वो बस मुझे साथ लाता था।
जब-जब भी जरूरत महसूस हुई,
वो बिना बुलाए बस दौड़ा चला आता था।
वो एक दोस्त था. . .
मेरे हर राज से,
बस वो ही वाकिफ था।
मेरे जीवन का वो,
मुझसे ज्यादा हाकिम था।
जब-जब भी मुझे उलझनों ने जख्मी करना चाहा,
वो हर दर्द का हकीम बन के आता था।
वो एक दोस्त था. . .
न जाने कहां बस,
खो ही गया वो।
लोग कहते हैं कि,
हमेशा के लिए सो ही गया वो।
उसके दूर होने पर रो भी न सकूं मै,
कमबख्त, जाते-जाते आँसू भी साथ ले गया था।
वो एक दोस्त था. . .
रब सा नूर था,
वो बेकसूर था।
न जाने किस लिए,
सजा मिली उसे ये।
आज भी जब उसकी तस्वीर सामने आती है,
तो रब से बस निगाहें यही पूछती हैं,
क्या वो सिर्फ एक ही दोस्त था?....
- देवेश तनेजा
For you #DDB
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