बहुत हुआ दुष्कर्म के अब,
ये वक्त नहीं के सहा जाए!
प्रतिशोध की इस ज्वाला में,
आओ उनको भस्म किया जाए!
बन कर फिर झांसी की रानी,
शत्रु का वध किया जाए!
या दुर्गा बन कर,
महिषासुर को खत्म किया जाए!
रूप प्रेम की देवी को,
अब रूप रूद्र लेना होगा!
इन मानव रूपी दरिंदों को,
उचित उत्तर देना होगा!
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हो नहीं सकता!!!...
बंदिश ए ह्यात में है के वो रो नहीं सकता, उसे रास्तों ने बांधा है के अब वो खो नहीं सकता! मंजिल दूर है काफी मगर रास्ता है शाइस्ता, उसे ख्व...
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कब तक किसी और के, नक्शे पलटता तू रहेगा? कब तक किसी और के पीछे, खुद को घसीटता तू रहेगा? खुद की राहों को बनाना, ऐ पथिक तू सीख ले!!!.....
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मै एक बिन सुनि आवाज था; गूंजेगी ये विश्वास था । जो न हुआ वो आगाज था; होगा ये विश्वास था । सूर्य मेरा भी अस्त एक दिन हो जाएग...
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Pc- Apurva Sriwastav. सुनो, एक कहानी सुनाता हूँ! ये मेरी कहानी नहीं है, किसी राजा या रानी की भी नहीं है! य...
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